हर गुजरी जिंदगी के साथ जिंदगी भी कहीं हार सी गई थी.....
लत से ईश्वर हर किसी को बचाए।
हरदिल अजीज़ दोस्त,
खत लिखकर तुमसे रूबरू हो रहा हूं। काफी दिनों से सोंच रहा था कि बिछड़ गए साथी से दिल की बात कहूं। उम्मीद है तुम दूसरी दुनिया में खुश होंगे। तुम्हारी जिंदगी का एक मामूली हिस्सा तुम्हे याद करता है। जिस अंदाज़ में दुनिया तुम छोड़ गए वो आज भी ताज़ा है। सिगरेट के कश लगाते हुए कब तुमने भी सोंचा होगा कि एक दिन मौत का कारण बनेगा। तम्बाकू की लत ने दरअसल तुम्हे यह दिन दिखाया। एक हंसता खेलता परिवार था तुम्हारा। जिसे तुम पीछे छोड़ गए। प्यारी बेटी थी। एक बेटा था। धर्मपत्नी थी। बूढ़े मां बाप थे। दोस्त करीबी रिश्तेदार थे। तुम्हें आज भी वो नहीं भूले। नहीं भूले वो लम्हा कि किस तरह अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे। किस तरह से फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया था। मौत एक ऐसा हादसा होता है जिसकी याद कभी नहीं मरती।
सिगरेट आदि तम्बाकू प्रॉडक्ट्स के संपर्क में जब पहली बार आए थे। उस मोमेंट नहीं सोचा होगा कि लत लग जाएगी। मैं जख्मों को हरा नहीं करना चाहता। व्यक्तिगत क्षति मगर बड़ी होती है भाई। क्या नहीं बाक़ी कहने को और जिंदगी गुजर रही। मौसम के सख़्त इम्तिहान में जिंदगी का साथ सबको नसीब नहीं। मुश्किल वक्त ही दरअसल परीक्षा होती है। तम्बाकू सेवन के कारण हुई मौतों में तुम सिर्फ एक चेहरे हो। कितनी ही कहानियां आए दिन सामने आती हैं। रिपोर्ट का हिस्सा बनकर अखबार की कतरनों में खो जाती हैं। तकलीफ से गुजरना ना जानें क्यों एक शाश्वत हकीकत बन सी गयी है। तुम जिस दुनिया में चले गए वहां से कोई संदेश नहीं आता। शहर अब काफी बदल चुका है। बाज़ार लगा हुआ है। अपनी उपस्थिति बनाए हुए है।
कई मामलों में पीड़ित अपने पीछे कुछ भी नहीं छोड़ जाता। ना परिवार ना संपत्ति। ऐसे लोगों के अफसोस कोई न कोई करता होगा।
तम्बाकू को समय रहते काश यह लोग छोड़ देते। उसके संपर्क में ही नहीं आते तो और अच्छा होता। कुछ पल के नकली मजे के लिए स्वास्थ की परवाह ना करना खुद पर भारी पड़ता है।
आदत बड़ी चीज होती है। लग जाए तो फिर जल्दी छूटती नहीं।
लत से ईश्वर हर किसी को बचाए।
तुम्हारा.....